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28 November 2023

[ Download ] जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं pdf

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जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं PDF


जीन पियाजे स्विट्जरलैंड के रहने वाले थे। उन्होंने बच्चों पर प्रयोग किया था। जीन पियाजे संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत दिए थे। जीन पियाजे के अनुसार चार अवस्थाएं होती हैं। 


पियाजे के अनुसार गुणात्मक रूप से चार विभिन्न अवस्थाएं होती हैं।


संज्ञानात्मक विकास के चरण :- 
1. संवेदी गामक अवस्था ( जन्म से 2 वर्ष ) - इस अवस्था में बालक अपनी कार्य इन्द्रियों की सहायता से करता है जैसे - पकड़ना, खेलना। 


2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था ( 2 से 7 वर्ष ) - इस अवस्था में बालक अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलना पसंद करता है। बालक पूर्व संक्रियात्मक अवस्था में सही अनुपात का अंतर नहीं कर पाता है। 
जीन पियाजे के अनुसार विकास की दूसरी अवस्था पूर्व संक्रियात्मक अवस्था है।  


3. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था ( 7 से 11 वर्ष ) -  इस अवस्था में बालक भार, आकार, क्रम आदि के अनुपात में अंतर करने लगता है।


4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था ( 11 से 15 वर्ष ) - इस अवस्था में बालक अंको का प्रयोग और समस्या का समाधान करने लगता है। इस अवस्था में बच्चा अमूर्त तर्क करता है। यह चौथी और अंतिम अवस्था होती है। 


पियाजे और वाइगोत्सकी के सिद्धांत के बीच अंतर :- 

पियाजे का मानना था कि बालक में परिवर्तन अवस्था के अनुसार होता है। लेकिन वाइगोत्सकी का मानना था कि बालक का विकास उम्र के हिसाब से नहीं बल्कि सामाजिक रूप से होता है।  

 
जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत से संबंधित Important Facts  :- 


1. जीन पियाजे के सिद्धांत का प्रमुख प्रस्ताव -   इस सिद्धांत का प्रस्ताव यह है कि बालक में सोचने और समझने की शक्ति वयस्कों से बेहतर होती है। बालक में सोचने की प्रवृत्ति मात्रात्मक और गुणात्मक रूप से अलग होती है। 


2. जीन पियाजे सिद्धांत का मुख्य विचार -  जीन पियाजे का कहना था कि बालक का विकास होता है। लेकिन सभी बालक में सीखने और समझने का विकास एक जैसा नहीं होती है। बालक के विकास की भिन्न प्रवृत्ति को देखकर शिक्षक को शिक्षण की योजना बनानी चाहिए। 

 
3. पियाजे के अनुसार अनुकूलन - जीन पियाजे का मानना था कि बालक जन्म लेने के बाद से ही वह एक-दूसरे को देखकर अवलोकन करने लगते हैं। बालक के ऐसी प्रवृत्ति को ही अनुकूलन कहते हैं। 



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Conclusion :- जीन पियाजे के अनुसार बच्चे भाषा अपने आस-पास के वातावरण से सीखते हैं। इनके अनुसार अवस्थाएं चार होती हैं।